Saturday, December 12, 2020

बाजार डर बेचता है?

सौर मंडल में ग्रहण की स्थिति कुछ भी रहे लेकिन मन में ग्रहण नहीं लगना  चाहिए सौर मंडल में जो चंद्रमा है वो हमारा मन है और राहु भय  और अंधकार का प्रतीक   है तो जब भी हम भय का शिकार होते  है अज्ञान का शिकार होते हैं चिंता का शिकार होते हैं स्ट्रेस का शिकार होते हैं तो हमारी अंदर ग्रहण शुरू हो जाता है..  हम  चंद्र ग्रहण की परवाह करते हैं लेकिन अपने  मन ग्रहण की कभी परवाह नहीं करती है चंद्र ग्रहण महीने में 3 बार लगा  तो  हमारी चिंता का विषय बन जाता है लेकिन मन में ग्रहण महीने में 30 बार लगते हैं तब हमें चिंता नहीं होती जबकि उसकी ज़्यादा चिंता होनी चाहिए जिन्हें पृथ्वी में रहना है उन्हें ये सब सहना  होगा। #BestPalmistinIndia 
हमारे ऋषियों ने कहा है कि यत पिंडे तत  ब्रह्माण्डे  यानी जो हमारी अंदर है  वही बाहर ब्रह्माण्ड में है इसलिए जो अंदर सब चीज़ों को देख लेता है जो बाहर की सभी चीज़ों से मुक्त हो जाता है क्योंकि बाहर जो भी दिखता है संसार में वह हमारे अंदर  मौजूद है।   इसलिए ज्ञानियों ने कहा है कि सत्य बाहर नहीं भीतर है।  #HandReading
लेकिन भय चूँकि बिकता है भय  बिकाऊ है भय  बहुत बड़ा बाज़ार खड़ा करता है इस लिहाज़ से जब वैश्विक भय  का वातावरण है ऐसे में डॉक्टर, ज्योतिषी ,,सरकार बाज़ार सब भय  का दोहन करने में जुट गए हैं।   वर्तमान में कितना बड़ा बाज़ार खड़ा हो गया है ये हमें दिखाई नहीं देता है। #Palmistry
 
ये सच है कि करोना आख़री  संकट नहीं है लेकिन इससे कितना डरा जाए ये आपको तय करना होगा हाथ धोना ,मास्क लगाना , दूरी रखना इसके बावजूद भी तो डरना है ये आपको  समझने की बात यह है कि वायरस को मृत्यु का पर्याय न बनाएँ।  सावधानी और डर में फ़रक  लोगों को बताएँ आज चाहे सूर्यग्रहण चाहे   चंद्र ग्रहण लोगों सब डरावने हो गए हैं लेकिन सबसे डरावना है बाज़ार।  जहाँ सोच सिर्फ़ उपभोक्तावादी है यानी कि इस डर से क्या क्या  बिक सकता है  के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है ऐसे में ज़रूरत से सावधान रहने की जागरूक रहने की प्रकाश में रहने की।  अंधकार ,  उदासी,  डिप्रेशन ,अज्ञान और डर को छोड़ देंगे  और ये तभी होगा जब अपना दीपक ख़ुद बन जायेंगे । #LivePalmReading