Wednesday, January 4, 2017





आदिकाल से ही मनुष्य   के मन में आने वाले समय यानि भविष्य को जानने की जिज्ञासी रही है।  हर मनुष्य जानना चाहता है की कल क्या होगा? या आज जो मैं कर्म कर रहा हूँ उसका परिणाम क्या होगा ? कर्म तो हर आदमी करता है लेकिन फल कब मिलेगा ? इन्ही सवालों का जवाब हमें मिलता है ज्योतिषशास्त्र  में। 

ज्योतिष  वेद का तीसरा नेत्र है। ज्योतिषीय  गणनाएं शुद्ध गणित पर आधारित हैं जिनका लोहा आज के वैज्ञानिक भी मानते हैं।  चाहे चंद्रग्रहण , सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं हो या किसी का व्यक्तिगत जन्माङ्क  बना हो हमारे विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा बनाये गए  पंचांङग  कभी भूल चूक नहीं करते है। 
  लेकिन जब किसी  मनुष्य को अपना जन्म समय ज्ञात न हो तो जन्मकुंडली बनाना  एवं उसके बारे में कुछ बता पाना  लगभग असंभव हो जाता है। ऐसा केवल तभी होता है जब लोग केवल  जन्मकुंडली को ही ज्योतिष समझ लेते हैं।  जन्मकुंडली के अलावा हस्तरेखा विज्ञानं है जो आपके हाथ की लकीरों में ही आपकी जन्मकुंडली दिखा देता है। फिर अंक विज्ञानं है और मुखाकृति विज्ञानं के अलावा अनेक माध्यम हैं जिनसे आपके भाग्य की झलक मिल जाती है. लेकिन हस्तरेखा विज्ञानं आज अपनी उन्नत अवस्था में है और आपके जीवन की हर घटना का विस्तृत व्योरा देने में सक्षम है। आपका स्वभाव , आपका स्वास्थ्य, आपके सम्बन्ध कैसे रहेंगे ? आप अपना व्यवहार कैसा रखें ? समय  समय पर अपना हाथ  देखकर या  दिखाकर समय  के अनुसार  चलना  हम सीख सकते हैं। इसीलिए   हमारे  ऋषियों ने सुबह सबसे  पहले अपना हाथ देखने की शिक्षा दी-


 कराग्रे बसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। 
करमूले तु  गोविंद प्रभाते कर दर्शनम। ।

क्योंकि हमारे हथेली के रंग एवं प्रभाव रेखाओ में होने वाले परिवर्तन हमारे आने वाले  समय  में  सुख एवं दुखों के संकेत लिए होते हैं और जो इन संकेतों को समय रहते समझ लेते हैं वे दुखों से काफी हद तक बचने में कामयाब हो जाते हैं। 

ज्योतिष को सिर्फ भविष्य बताने का माध्यम समझना ऐसी ही भूल होगी जैसी जीवन का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना है। जीवन में सेवा, सत्संग,  परोपकार, ध्यान, संगीत , प्रकृति , चित्रकारी और पर्यटन को छोड़कर  सिर्फ पैसा पैसा कमाना, पैसे के पीछे भागना, पैसे के लिए सम्बन्ध बनाना , पैसे के लिए यात्रा करना , केवल पैसे का ही चिंतन करना मनुष्य को वास्तविक सुख से दूर ले जाता है।
  ज्योतिष हमें सिखाता है की अगर अच्छे फल पाना है तो पहले अच्छे कर्म करने होंगे।  अच्छे सम्बन्ध बनाने होंगे सबके हितों का ध्यान रखना होगा चाहे वे मित्र हों, रिश्तेदार हो, पडोसी हों, संसार हों ,जिव जंतु, पशु पक्षी, चाँद तारे , नदियां पर्वत  सबसे संवाद बनाये रखकर सबके हित की बात सोचकर ही सबमे परमात्म भाव रखकर ही हम इस संसार में सुखी रह सकते हैं। इसलिए हमने रिश्तों को ग्रहों से जोड़ा सूर्य पिता, चन्द्रमा माता, मंगल भाई, बुध बहन , तुलसी , पीपल,  गौमाता , चिड़िया ,चींटी , नदी, पर्वत आकाश सबकी पूजा करना सबको प्रशन्न  रखना सिखाया इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है मनुष्य के सुख से रहने का। 

ज्योतिष में मुहूर्त और नक्षत्र का चिंतन बहुत वैज्ञानिक है ।लेकिन उससे भी ज्यादा महत्व इस बात का है कि इससे हमें टाइम मैनेजमेंट और अनुशाशन सीखने को मिलता है। अगर हमे कोई  छूट देदे की अगले सप्ताह में कभी भी इंटरव्यू के लिए आ जाना तो शायद पूरा सप्ताह निकल जाये और हमें समय न मिले लेकिन अगर पंडित जी बता दें की सोमवार सुबह १०.१० से १०. ५५ के बीच शुभ मुहूर्त है इस बीच इंटरव्यू देने से सम्पूर्ण  सफलता मिलेगी तो हमारा उत्साह बढ़ जाता है, आलस्य ख़त्म हो जाता है हम ज्यादा एकाग्रता से काम करते हैं। इसी तरह हमारी बुरी आदतें 
ग्रहों को प्रशन्न करने के लिए किये गए उपायों, नियमो के दौरान छूट  जाती हैं।  

 चर्चा  चाहे रेडियो में चले या टीवी  में, मैं हमेशा कहता हूँ की ज्योतिष की ताकत को अभी तक  पहचाना नहीं गया. यह ऐसी पवित्र विद्या है जो न सिर्फ मनुष्य को नैतिक पतन से बल्कि सामाजिक बुराईयों से दूर रखने की क्षमता रखती है।  ज्योतिष के सही प्रयोग से एक अच्छे व्यक्ति एवं श्रेष्ठ समाज का निर्माण संभव है। बच्चों का हाथ देखकर बचपन में ही आगाह किया जा सकता है की इन्हें किन बुराईयों से बचाना है या इनमे कौन से गुण हैं जो इन्हें विश्वव्यापी शोहरत दिलाएंगे ? हमारे शोध जिस गति से जारी हैं मुझे आशा है की जिस तरह हम बच्चों के आँखों की जाँच करते हैं, दाँतों की जाँच करते हैं उसी प्रकार उनके हाथों की जाँच कराएँगे और उन्हें बेहतर इंसान बनाएंगे। 

ज्योतिष का सर्वाधिक नुक्सान ३  तरह के लोगो ने किया है एक वे जिन्होंने ज्योतिष का बिना अध्ययन किये ही उसे अन्धविश्वास मान लिया और दुसरे वे जिन्होंने अध्ययन तो किया लेकिन 
उसके बारे में लोगो समझाया नहीं , संकोची और अंतर्मुखी  स्वाभाव होने के कारन  तथ्यों को समाज के सामने सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाए  .  और तीसरे वे जो केवल एक दो किताबें पढ़कर   अपना व्यवसाय बढ़ाते रहे और  रत्न, ताबीज़ छल्ले,  जैसे प्रोडक्ट बेचते रहे। ज्योतिष उपासना का विषय है  बिना संयम, सेवाभावना  एवं इष्टकृपा के इसके गूढ़ रहस्यों को नहीं समझा  जा सकता है। यद्यपि सच्चे उपासकों को भौतिक आवश्यकताएं  भी पूरी  हो जाती है लेकिन यह उसका उद्देश्य नहीं होता। 

ज्योतिष का आकाश  बहुत बृहत एवं विशाल है ज्योतिष कहता है की हम पूरे ब्रम्हांड से जुड़े हैं कुछ भी अलग नहीं है "यत पिंड तत ब्रह्माण्डे । बाहर  सारे ब्रम्हांड में जो कुछ भी है  वह सब हमारे अंदर भी है अतः बाहर  संसार में किया गया कोई भी असत्य, अन्याय, विध्वंश से हम अछूते नहीं रह सकते अतः हम अपने मन, वचन, कर्म को सही दिशा दें तभी हम उज्जवल भविष्य की रचना कर सकते हैं। सारे संसार के नोट भी  हमारे अकाउंट में आ जाएँ तो भी हम सुखी नहीं हो सकते हैं अगर कोई  मनुष्य भूखा सो रहा है हमारे  आसपास।

, ज्योतिष कहती है कि अगर दुखी हो 
 शनि से पीड़ित हो तो जाकर भूखे को भोजन कराओ।  यानि संतुलन लाओ असंतुलन से दुखी हो। तराजू एक तरफ झुक जा रहा है इसलिए पीड़ा है अतः दुसरे पलड़े में कुछ रखो संतुलन आएगा तो सुख आएगा  यही तो शनि का काम है न्याय करना। न्याय के देवता शनि हैं तराजू लेकर खड़े हैं।  यह तो सामाजिक संतुलन की बात है अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो ज्योतिष कहती है 
कि तुम्हे चिंता की जरूरत नहीं है अपना कर्म करते रहो यह संसार जिस शक्ति से चल रहा है वह तुम्हे भी संभाल लेगी तुम कुछ भी नहीं हो जो शक्ति सूर्य के ताप को नियंत्रित रखती है और समुद्र को  सीमाओं में रखती है पहाड़ों को स्थिर रखती है और आसमान से  विशाल ग्रहों और तारों को तुम्हारे ऊपर गिरने नहीं देती सम्हाल लेती है वही शक्ति तुम्हे भी संम्हाल लेगी। तुम शांति से अपना काम करो , होशपूर्ण बने रहो और जीवन का आनन्द लो और उस शक्ति (परमात्मा ) का धन्यवाद व्यक्त करो।